अध - छिपी ,अध - खुली ,
सुखी रोटियों को देखा |
पास नंगे बदन , एक छोटे बालक को खड़े देखा |
थोड़े बड़े को जमींन पे बैठे देखा |
कत्थई चारखाने की कमीज़ में |
बड़े बाबू का द्वार , साफ़ करते देखा |
मांगने पर मेंहनत उनकी , बाबू से पाँच का सिक्का उछलते देखा |
कत्थई चारखाने की कमीज़ में |
बेबस मजबूर बच्चों को , बेबसी की चादर ओढे देखा |
देख इस दृश्य को मैंने ,अपने हृदय को मोम बनते देखा |
कत्थई चारखाने की कमीज़ में |
साथ ही मन में उठी एक प्रश्न रेखा |
कि "कौन हैं भिखारी " का हल निकलते देखा |
कत्थई चारखाने की कमीज़ में |
अमीरों के नाम पर गरीबो को देखा |
रुपयों का जामा पहनें भिखारी देखा |
sj khan
साक्षी
Aaina dekha diya ki kon ha bikhri.
ReplyDeleteWow
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